
दिल्ली यूनिवर्सिटी के जो हॉस्टलर सालभर आइएस,प्रोफेसर,वकील, सीइओ और साइंटिस्ट जैसी शख्सीयत बनने के लिए किताबों में आंखे गड़ाए रहते हैं,सेमिनार के पर्चे तैयार करते-करते तबाह रहते हैं और अपने को इन सबके लिए सबसे बड़ा दावेदार मानते हैं,होली आते ही उनकी दावेदारी एकदम से बदल जाती है। इस दिन उनका मिजाज एकदम से बदला-बदला सा होने को आता है। इसे आप फाल्गुनी हवा का असर कहें या फिर हील-हुज्जत करके जुटाई गयी ठंडई का,लेकिन सच ये है कि कॉलेज,कचहरी और मल्टीनेशनल कंपनियों के बीच सालभर में किसी भी दिन दावेदारी बनायी जा सकती है। लेकिन होली के दिन की दावेदारी को वो किसी भी तरह से मिस नहीं करना चाहते। ये एक दिन की लेकिन सबसे महत्वाकांक्षी और मजबूत दावेदारी होती है दूल्हा बनने की। जिस पीजी वीमेन्स और मेघदूत हॉस्टल से वो नजर लड़ाते या बचाते हुए गुजर जाते हैं होली के दिन उनकी इच्छा होती है कि वो अपनी बारात इन लड़कियों के हॉस्टल में ले जाएं।..और यहीं से देश के बाकी विश्वविद्यालयों से अलग किस्म की होली मनाने की बुनियाद पड़ जाती है।
मैं पिछले करीब चार साल से देख रहा हूं। जिस रेडी या ठेले पर एक आम मेहनतकश चीकू या खरबूजे बेचने का काम करता है,मानसरोवर हॉस्टल के रेजीडेंट उसी पर अपने मनोनित दूल्हे को सवार करते हैं। कई तरह की मालाएं(फूल से बनी मालाओं के अलावे भी) पहने वो इन दोनों गर्ल्स हॉस्टल की तरफ कूच करते हैं। इसी तरह से ग्वायर हॉल के लोग अपनी तरफ से एक दूल्हा मनोनित करते हैं। हमें हंसी आती है लेकिन पिछली बार हमने सबसे बुजुर्ग हॉस्टलर को सर्वसम्मति से मनोनित दूल्हा बनाया और लड़कियों के हॉस्टल के आगे पहुंचते ही सीनियर सिटिजन जिंदाबाद के नारे लगाने शुरु किए। इसी तरह से जुबली हॉल औऱ कोठारी हॉस्टल के लोग अपने-अपने मनोनित दूल्हे को लेकर इन हॉस्टलों की तरफ कूच करते हैं।

आज से चार साल पहले उतनी भीड़ नहीं होती,बहुत ही कम लोग हुआ करते। बॉलकनी और मुंडेर पर लड़कियां भी कम आती। लेकिन धीरे-धीरे ये एक रिवायत सी बनती चली गयी कि इस दिन दूल्हे को मनोनित करना है और फिर गर्ल्स हॉस्टल के आगे उसे प्रोजेक्ट करना है। पिछले दो सालों से लड़कियों ने भी गर्मजोशी दिखानी शुरु की है। भीड़-भाड़ देखकर मौरिसनगर थाना भी चौकस हो जाया करता है।दर्जनों की संख्या में पुलिस तैनात कर दिए जाते हैं। लेकिन इन पुलिसवाले के चेहरे पर इस दिन के अलावे शायद ही कभी सार्वजनिक जीवन में हंसी आती होगी। हॉस्टल की सारी लड़कियां भाभी हो जाती है,पूरबिया के हॉस्टलरों के लिए भौजी। जोर से नारे लगते हैं..हम आए हैं तूफान से कश्ती निकाल के,इस भैय्या को रखना भौजी संभाल के। मनोनित दूल्हा हाफ बाजू की शर्ट पहनने पर भी उसे औऱ मोड़ता है,पूरा दम लगाकर बॉडी को मछळी जैसा आकार देना शुरु करता है। जो पत्ते-झाड़ हाथ लग जाए उसे अदा के साथ लड़कियों के आगे करता है...बॉलकनी से लड़कियां हो-हो करना शुरु करती है। मेघदूत की लड़कियां,दो साल का अनुभव है अपना कि हॉस्टल और कमरे के सारे कचरे हमारे उपर फेंका करती है जिसे कि बुजुर्ग किस्म के रेसीडेंट उपहार समझकर अपनी देह पर गिरने देते। फिर बाल्टी-बाल्टी पानी। चूंकि लड़कियों को हॉस्टल से बाहर निकलना नहीं होता है इसलिए लड़कों के पूछे जाने पर कि कबूल है,कबूल है..वो जोर से चिल्लाती हैं,हां कबूल है। कबूलनामें के बाद फिर आधे घंटे तक हुडदंगई।

फिर वापस हॉस्टल की लॉन में पहुंचकर,अपनी-अपनी बौद्धिक क्षमता से मसखरई करने और कथा गढ़ने का दौर शुरु। वो आपको देखकर सेंटिया गयी, मनोनित दूल्हे का बयान कि जो बॉडी आज दिखाए हैं न कि उसको बार-बार सपना आएगा। सामूहिक स्तर पर प्रपोज करने का जो काम होली के दिन यहां के स्टूडेंट करते हैं,वो शायद ही वेलेंटाइन डे के दिन भी हुआ करता है। यहां गांव और कस्बे की होली से कई मायनों में अलग किन्तु एक खास किस्म की लोकधर्मिता पैदा होती है। लॉन में पसरे लोग अलग-अलग थाली में नहीं खाते,जिसको जिस थाली तक हाथ पहुंच जाए वहीं से शुरु। खाने के बाद बाथरुम में इस बात को लेकर टेंशन नहीं कि टॉबेल और साबुन लेकर पहुंचे भी हैं या नहीं। जो मिला उसी से निचोड़ लो,उसी से पोछ लो।...दूल्हे के तौर पर सुबह तो लगता है कि दावेदारी बदल गयी लेकिन उसके बाद दिनभर लगता है कि किसी को किसी भी चीज को लेकर दावेदारी रह ही नहीं गयी। एक ही लाइन कानों में गूंजते हैं..बुरा मान गए दोस्त,फिर मान गए तो क्या कर लोग और फिर दमभर ठहाके। ये खुशी न तो फसल के पकने की,फगुआ के चढ़ने की बल्कि सिर्फ इस बात की कि हम घर से दूर होकर भी दमभर खुश होने की कोशिश करते हैं,सफल होते हैं।
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267422156877#c1733800163647674642'> 28 February 2010 at 21:42
वाह, मजेदार। मौज-मजे के साधन जनता खोज ही लेती है। इस बार या अगली बार तुमको दूल्हा बनना चाहिये और अपने लेख वहां जाकर सुना आना चाहिये। बौद्धिकता का आतंक छा जाता । दियावरनी मिल जाती। एक दिन के लिये ही सही। किस्सा तो जिन्दगी भर चलता।
होली मुबारक। सबको।
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267422340131#c1178652605897820071'> 28 February 2010 at 21:45
बहुत अच्छा पोस्ट. होली मुबारक...
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267422916618#c6335464879610018681'> 28 February 2010 at 21:55
देखते ही मत रहो
चट से चढ़ जाओ
तुसी वी
दूल्हे बन जाओ
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267426652392#c1157113350291968960'> 28 February 2010 at 22:57
अरे वाह!ये तो चट लेखन ,पट निर्वाह भी हो गया।
फ़टाफ़ट फ़ोटो भी लगा दिये। कौन सा माध्यम इत्ता त्वरित होगा जी!शानदार च जानदार! जय हो!
होली फ़िर मुबारक!
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267429101280#c4838062973467138571'> 28 February 2010 at 23:38
रंगोत्सव पर शुभकामनाएं कबूल करें !
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267431398414#c6427823044896835040'> 1 March 2010 at 00:16
होली की शुभकामनाएँ ।
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267431716351#c2546496938121838670'> 1 March 2010 at 00:21
सही है लखैरा। :) तुम कब बन रहे हो दुल्हा। मुझे भी बुला लेना उस दिन गर्ल्स हॉस्टल में :)
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267432029071#c8192024139700199057'> 1 March 2010 at 00:27
@ मनीषा पांडे
लखे जो लखैरा
दुनिया रैन बसेरा
ब्लॉग हैं विचार बसेरा।
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267436094249#c3312543872298139427'> 1 March 2010 at 01:34
मजेदार ..
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267441310137#c1644534654131928780'> 1 March 2010 at 03:01
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं. पढ़ते रहिए www.sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267447646385#c1414503661695074650'> 1 March 2010 at 04:47
अरे वाह! ये अंदाज तो एकदम नया है होली मनाने का।
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267447646386#c3057047717297597317'> 1 March 2010 at 04:47
wah. badhiya hai ji ye to.
to aap kab ban rahe hain is tarah ka manonit dulha, dekhiye manishha ji bhi us din girls hostel me aane ko taiyar hain......
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267453983994#c7956168609239968131'> 1 March 2010 at 06:33
मजेदार है जी!!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267459770968#c3909434421281060462'> 1 March 2010 at 08:09
:))))) sahi hai..
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267468251223#c1663070605695483770'> 1 March 2010 at 10:30
waaaaaaaah!! ee jo pila t-shirt pahne ladka hai, iska kuch hoga ki nahi...
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267468532567#c2147763126339018115'> 1 March 2010 at 10:35
delhi university me yeh pratha bhi hai yeh apke post ko padkar pta chala ..
http://test749348.blogspot.com/2010/02/blog-post.html?showComment=1267509682587#c1426141897210801559'> 1 March 2010 at 22:01
बहुत बढिया चित्रण !