
स्साला,इ बात जानते हुए कि सोहरब्बा को छोड़कर सानिया कभी भी हमरी नहीं होगी,ए गो भी मैच मिस नहीं किए। हमको क्या लेना-देना था टेनिस से? ओही एक गो किरकेट था जिसको कि हम और बाबूजी साथ देखते। उसी बहाने साथ में बैठकर बाबूजी से बोलते-बतियाते। बात खेला से शुरु होता और पॉलटिक्स पर जाके खत्म होत। बाबूजी को बतियाने वाला मिल गया था और हमको बाप की शक्ल में एक टिकाउ दोस्त। लेकिन सानिया के चक्कर में सब भंडुल हो गया।
हम किरकेट छोड़कर जब से टेनिस देखने लग गए,बाबूजी से दूरी बढ़ती चली गयी। पहिले-पहिले तो बाबूजी कहते- अरे,मुन्नू इ क्या तू टेनिस लेके बैठा है,लगाओ न जरा जिओ स्पोर्ट- धोनिया,अस्ट्रेलिया को मारके बोखार छोड़ दिया है। शुरु-शुरु में हम भी लगा देते कि बाबूजी बुरा न मान जाएं इसलिए। लेकिन बाद में सानिया का नशा ऐसा चढ़ा कि सुन के अनसुना कर दिए। बाबूजी के एक-दो बार टोकने पर समझा दिए- बाबूजी,किरकेट तो सब बिहारी देखता है,इ अब लोअर मिडिल क्लास को देखनेवाला खेला हो गया, टेनिस देखिए,एलीट वाला खेला। बाबूजी भी मन मारके देखने की कोशिश करते। लेकिन जो आदमी के खून में गवास्कर के जमाने से ही किरकेट घुस गया है उ कैसे दू से चार अदमी के बीच होनेवाला खेला बर्दाश्त कर लेगा? हार करके गीताप्रेस के किताब में अफने को उलझा लेते या कहते कि अच्छा हमको जरा रेणु बाबू वाला 'परती- परिकथा'दे दो।
कहानी इहें तक कहां रुकने वाला था। बाबूजी को हमरे चाल-ढाल से अभास हो गया था कि इसको टेनिस-उनिस नहीं खाली सानिया मिर्जा के चक्कर में इ खेला देखता है। उनको बहुत धक्का पहुंचा। बीच में एक-दू बार माय बोल चुकी थी कि- ऐसे दीदा फाड़के देखते हो तो क्या इन सनिमा टीवीए से निकल आएगी क्या? अपने तो खेल के पैसा पीट रही है और हियां हमरे पढ़े-लिखेवाला बुतरु के मति मार ले गयी। महल्ला-टोला में धीरे-धीरे हल्ला हो गया कि हम सानिया मिर्जा के चक्कर में टेनिस देखते हैं। सठियाल बुढ़वन सबको पता चला कि इसको सब खेला देखने के लिए नहीं देखते हैं बल्कि कुछ औरे बात है। शीरिकांत चचा को उड़ते-उड़ते फीगर शब्द कान में पड़ा। फिर सबके सामने शेखी बघारने लगे कि- आपलोग कान में करुआ तेल डालकर पड़े रहिए,हियां उ टेनिस खेलाड़ी के बारे में खबसूरत होने का हल्ला है।
मोहल्ला में लौंड़ों का मसखरय चालू था। एक कहता- इ अकेले खेलाड़ी है जिसको इतिहास में शी..शी..करा देनेवाली लेडिज खेलाड़ी के तौर पर याद किया जाएगा। काहे कोई जाएगा,छोटका सिनेमा देखने हो। सानिया मिर्जा को काहे नहीं देखे।..अरे संभुआ,स्साला सिल्पा सेठ्ठी बहुत बनती है न बिग बॉस में जितला के बाद,पर्सनालटी में पानी भरेगी सानिया मिर्जा के सामने। जानते हो रे बिरजू,हमको एके गो बात समझ में नहीं आ रहा कि इ अब तक फिलीम में ट्राय काहे नहीं करती। चक दे टाइप से कुछ।
कमरा से सब किरकेट खेलाड़ी के फोटो हटा दिए। अब खाली सानिया। शॉट मारते हुए,बॉल रगड़ते हुए। टीशट उचकाते हुए। बाबूजी कमरे का नक्शा देखके भड़क जाते,अंदर ही अंदर कुढ़ते। मां से कहते- देखिएजी,अपने लाड़ले को और शह दीजिए। बाबूजी तो हियां तक कह दिए कि पैदा करनेवाला तो कर देता है लड़की। लेकिन उसके पीछे जो नौजवान का पूरा का पूरा पीढिए तबाह हो जाता है,उस पर बात करनेवाला कौन है? सरकार को तो एसन लड़की लाड़ली योजना और पोलियो के ड्रॉप पिलाने के काम आ ही जाती है। हियां तो हमरा लड़का न खड़े-खड़े पेड़ की तरह सड़ रहा है। दिल्ली के जुबली हॉल में बैठकर आज हमको गोपालगंज में सानिया मिर्जा को ले-करके एक-एक खिस्सा याद आ रहा है।..ए लेखक साहब,बिलॉगर महोदय सुन रहे हैं न सबजी।..सुन तो रहबे कर रहे हैं लेकिन इ आपके आंख ले लोर काहे टपक रहा है जी। सेंटिया काहे गए सानिया के ब्रेकअप के खबर सुनकर।
आप नय जानते हैं। जब दिल्ली आए तो ऐसन नशा सवार था सोनिया के कि हमको हर लड़की सानिया लगता। लगता कि कोय भी लड़की को कुछ मत करो,खाली नाक छेदा दो औ एगो उसमें छोट गो नथुनी डाल दो। देखे नहीं थे,उ दिन आपकी बैचमेट नथुनी पहिनकर आपसे लसफसा रही थी तो हम बोले कि पक्का सानिया मिर्जा लग रही है। कुछ नय तो एगो एकरलिक वाला शार्ट टीशर्ट पहना दीजिए। आप तो गौर नहीं किए लेकिन हमको साफ लग गया था कि हमरे सहित सानिया का जादू लड़की लोग पर भी चल गया है। नहीं तो हिन्दी विभाग के जे लड़की एक बार हाथ छू जाने से चार बार साबुन से होथ धोती है उ काहे नाक छेदाकर टॉप पहनती। अब आपसे क्या छुपावें बिलॉगर साहब। माय-बाप से केतना बार झूठ बोले होंगे,नय कह सकते हैं? केतना बार झूठ बोलके यूपीएससी और वीपीएससी के फारम भरने का पैसा मांगे होगे,गिनती नहीं है। लेकिन हर बार पैसा मांगके उसको addidas का टीशट खरीदकर दिए हैं। पहिले तो कहती थी कि ऑरिजनल है तब हमरा भीतर से सुलग जाता था लेकिन बाद में जब साथे ले जाकर खरीद देते तब यकीन होता। जूता लेने से मना कर देती कि घर में बाप-भाय पूछेगा लेकिन बाद में उ भी खरीद दिए।
औ सुनिए न,आदिकाल-भक्तिकाल पर नोट्स बनानेवाली लड़की को बैंड का क्या काम जी,addidas के पानीवला बोतल का क्या काम लेकिन सब खरीदकर दिए। औ जानते हैं काहे- सानिया मिर्जा addidas के ब्रांड एम्बेस्डर हो गयी थी इसलिए। एक-एक चीज खरीदे उस कंपनी का। पगला गए थे हम उस समय। हम उसको सानिया मिर्जा बनाके दम लेना चाहते थे।..ए महाराज,दम लेना ताहते थे तो अब भोकार पाडके रोने काहे लग रहे हैं..उ सब खिस्सा को बीते तो चार साल हो गया,संभलिए। संभलिए,इ स्साला,चूतिवा चैनल एक्सपर्ट बैठा लिया है औऱ कह रहा है कि ऐसा क्यों है कि स्टारडम का अक्सर ब्रेकअप हो जाता है? सानिया और सोहराब की तरह बाकियों के संबंध शादी के तौर पर टिक क्यों नहीं पाते? इ जो लड़की पूछ रही है सवाल इसको कुछो नहीं आता है। उ कौन स्टारडम थी जी जो एक दिन भजनपुरा के एगो दुकान के झटियल पोलोथिन में सब कार्ड-याद फेंककर चली गयी। उसको कौन धन्नासेठ मिल गया था। हम कहेंगे तो आप बमक जाएंगे लेकिन लड़का कोय भी हो,लड़की लोग उसका चुतिया काट ही लेती है। हियां सानिया तो.....। अभीओ इ दिल्ली में हजारों लड़की चूतिया काट रही होगी किसी न किसी को। अरे सानिया का क्या है,फिर से खेलना-खुलना शुरु कर देगी। फिर से हमरा जैसन चिरकुट लोग बौखने लग जाएगा,पहिले एडीडॉस तो आगे नैकी पहनाने लगेगा अपनी गलफ्रैंड को। फिर देस का हजारो लौंड़ा हमरे तरह माय-बाप से झूठ बोलकर उसको सानिया मिर्जा बनाने के लिए पानी की तरह पैसा बहाएगा।
लेकिन इ सब करके सानिया सुखी नय रह पाएगी। हम जैसन सीधा-साधा आदमी का सराप उसको जरुर लगेगा। किसी के आत्मा को दुखाना हंसी-ठठा नहीं है। अ देखिए न उसके बारे में भी तो यही सुनते हैं कि साल में आठ महीना तो बापे-माय के घर रहती है। अब भगवान जाने उसके घर का असलियत। ..फिर ..फिर..फिर..ए बिलॉगर साहब मेरा माथा घूम रहा है जी,आप कुछ कीजिए,कुछ राहत कीजिए,पंखा चलाइए। आप स्साला घाघ आदमी है,इ सब सुनकर फिर ब्लॉग पर पेल दीजिएगा लेकिन हम तो मरे जा रहे हैं। गलती हमरे से हुआ,हमको उसको उपन्यास-कहानी का किताब गिफ्ट करके पत्नी बनाने के बारे में सोचना चाहिए था तो हम लगे उसको सानिया मिर्जा बनाने।
...इ आप क्या कर रहे हैं,काहे बजा रहे हैं इ गाना आप अभी। हमरा करेजा काहे जला रहे हैं। जान गए थे कि उसका सगाई हो गया है। इधर सानिया का भी सोहरबा आज न कल लेकर रफ्फूचक्कर होगा फिर भी होस्टल फेस्ट में भूल जाते थे कि हमरे साथ इ सब हुआ है और गांड थै-थै करके नाचते थे- सानिया मिर्जा कट नथुनिया जान मारे लै..अब। बंद कीजिए अब इ गाना,आप हमरा उपहास कर रहे हैं। आपसे हम दुखड़ा रोए कि ब्लॉगर आदमी है,दर्द समझिएगा लेकिन आप भी चुतियापे पर उतर आए।..सॉरी,सॉरी..चलिए अब इ गाना बजा देते हैं- दिल तो बच्चा है जी,दिल सा कोई कमीना नहीं। दिल तो बच्चा है जी।.पार्क घूमके आते हैं,आजकल हमको देखते ही उ खोखने लगती है,एक चक्कर मार आएं..
(एक बिहारी फैन का दर्द वाया गोपालगंज)
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1264752808565#c4358953301359119641'> 29 January 2010 at 00:13
विनीत ,तुमने बहुत ही अच्छे तरीके से ,जमीन से जुड़े लोगों का मर्म समझा और लिखा है. तुम्हारे लिखने की शैली कबीले तारीफ है.पता नहीं क्यों ये सेलेब्रिटी लोगों के दिमाग में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने के पहले क्या हो जाता है? देश और समाज के सामने क्या उदाहरण प्रस्तुत करना चाहतें है? इसी सानिया मिर्ज़ा के बारे में जब मुल्लाओंने स्कर्ट्स तथा टी शर्ट पर हो हल्ला मचाया था तो देश के लोगों ने कितना सपोर्ट कीया था?
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1264756049710#c841749326635803262'> 29 January 2010 at 01:07
jabardast, kya shailee hai yar
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1264773396557#c4982124780849327574'> 29 January 2010 at 05:56
हमरे ब्लॉग को भी बहुत पहले सानिया मिर्ज़ा वायरस का इन्फ़ैक्शन हो गया था. कोई पांच साल पहले!
एक नजर इधर त मारे सकत हैं कि नहीं?
http://raviratlami.blogspot.com/2005/01/blog-post_26.html
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1264776472390#c3578332882783527069'> 29 January 2010 at 06:47
बहुते गजब का लिखे है भइया जी........
सिद्धार्थ
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1264787938303#c8096952762452291449'> 29 January 2010 at 09:58
का विनीत भाई, काहे लेइ सब छौडां सब का पोल खोल रहे हैं , अरे सनिया का नथुनिया पर तो सारा हिंदुस्तान डोल रहा था , अब थोडा दिन और डोल लेगा , बताईए तो , जाने केतना छौंडी सब ई सब पढ के सहचेत हो जाएगी ....गजबे लिख डारे हैं , आज जाने कि ई गाहे बेगाहे ....का होता है
अजय कुमार झा
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1264842942251#c6152252752020558553'> 30 January 2010 at 01:15
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बहुत ख़ूब विनीत, मज़ा आ गया.
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1265133446993#c1434570051900497676'> 2 February 2010 at 09:57
वाह !! और भी ग़म हैं ज़माने में सानिया के सिवा ।
http://test749348.blogspot.com/2010/01/blog-post.html?showComment=1265172208007#c7700957319922393633'> 2 February 2010 at 20:43
क्या करीने से सानिया दर्द उतारा है महाराज, बहुत बढ़िया। पढ़के हंसी भी आई और उस फैन के दर्द का अहसास भी हुआ।