राखी सावंत बला या अबला

Posted On 01:46 by विनीत कुमार |


सौरभ द्विवेदी ने ये लेख नवभारत टाइम्स डॉट कॉम के लिए लिखा है जो कि वहां प्रकाशित है। देर रात टेलीविजन और रियलिटी शो को लेकर बातचीत के क्रम में उसने बताया कि उसने भी कुछ लिखा है और वो चाहता है कि मैं उसे पढ़ूं। टेलीविजन और मीडिया पर लगातार पढ़ते रहने के बीच मेरी कोशिश रहती है कि उसे अधिक से अधिक लोगों के साथ साझा करुं जिससे कि असहमति और कमेंट के तौर पर आपकी ओर से कुछ प्रतिक्रियाएं सामने आ सके,टेलीविजन पर जो कुछ भी मैं रिसर्च कर रहा हूं,उसकी समझ में इजाफा हो।
सौरभ द्विवेदी की कीबोर्ड की सबसे बड़ी खासियत है कि वो चाहे जिस किसी भी मसले पर लिख रहे हों,आर्डर और सप्लाय के फार्मूले पर लिखते रहने के वाबजूद भी भाषा,बहस और विमर्श की गुंजाइश को हद तक बचाने की जद्दोजहद बनी रहती है। शायद यही वजह है कि उन्हें राखी सावंत पर लिखते हुए भी नोम चॉमस्की याद आते हैं। आप खुद भी पढ़िए-


साभारः- नवभारत टाइम्स डॉट कॉम
आखिर क्या हैं राखी सावंत, आइटम गर्ल या मीडिया के जरिए भारतीयों के टीवी रूम का हिस्सा बन चुकी एक हकीकत।

कुछ भी बोल कर मनोरंजन करने वाली एक भदेस एक्ट्रिस या हमारे सौंदर्यशास्त्र का व्याकरण बिगाड़ने वाली एक बाला राखी का स्वयंवर नाम के रिऐलिटी टीवी शो के चलते चर्चा में छाई राखी सावंत एक ऐसी थिअरी हैं, जिन पर शो बिजनस के मौजूदा टूल्स काम नहीं करते। राखी नाम की इस थ्योरी की पड़ताल :

अमेरिका के मशहूर चिंतक नॉम चॉम्स्की और भारत की आइटम गर्ल राखी सावंत, इन दोनों में क्या रिश्ता हो सकता है। सावंत चॉम्स्की की एक थिअरी का विस्तार हैं, ऐसा विस्तार जिसके बारे में शायद खुद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। चॉम्स्की मैनूफैक्चरिंग कंसेंट नाम की किताब में कॉर्रपरट सेक्टर और स्टेट नाम की संस्थाओं के मीडिया पर नियंत्रण और असर की बात करते हैं। मगर राखी सावंत किसी संस्था का नाम नहीं। उनके चाहने वाले भी और आलोचक भी उन्हें प्रवृत्ति का दर्जा जरूर देते हैं। और राखी को बखूबी मालूम है कि मीडिया का इस्तेमाल कैसे किया जाता है। कब कैमरे के सामने बॉयफ्रेंड को थप्पड़ मारना है और कब टीवी स्टूडियो में खुद को भारतीय नारी साबित करने के लिए पूरे कपड़े पहनकर आना है। राखी का नाम टीआरपी का पर्याय है, लेकिन इलीट भारतीय तबका हो या ग्रेट इंडियन मिडल क्लास, उनके लिए राखी बकवास करने और बदन दिखाने वाली एक लड़की है, जिसे मीडिया ने सिर चढ़ा रखा है। कुल मिलाकर इतना साफ है कि राखी सावंत को आज पूरा देश न सिर्फ जानता है, बल्कि बजट और लालगढ़ जैसे तमाम जरूरी मुद्दों के बजाय देश उनके स्वयंवर पर चर्चा भी कर रहा है।

थिअरी को बनाने वाले कंपोनेंट
राखी सावंत की कारगुजारियों और रणनीतियों पर बात करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उनको बनाने वाले तत्व क्या हैं। मराठी पिता और गुजराती मां की सबसे बड़ी बेटी राखी सत्तर के दशक में बनने वाली मनमोहन देसाई मार्का पारिवारिक मूल्यों वाले ड्रामे की स्क्रिप्ट की मेन लीड की तरह हैं। पिता पुलिस में एसीपी थे, लेकिन जब राखी 11 साल की थीं, तब उन्होंने अपनी पत्नी और तीनों बच्चों को छोड़ दिया। इसके बाद राखी ने भाई-बहन की परवरिश का जिम्मा संभाला और डांस को अपना पेशा बनाया। जागरण, पार्टियों आदि में डांस कर उन्होंने धीमे-धीमे अपनी पहचान बनाई। 2003 में सुनील दर्शन की फिल्म 'जोरू का गुलाम' में उन्हें पहला ब्रेक मिला। फिर आया रीमिक्स एलबम 'परदेसिया' जिसमें साइड कट वाली स्कर्ट पहने राखी कॉन्फ्रंस रूम की टेबल पर चढ़कर अपने बॉस को रिझाती नजर आईं। यहीं से उनके करियर का ग्राफ ऊपर चढ़ने लगा।

पॉप सिंगर मीका ने अपनी बर्थडे पार्टी पर जब जबरन राखी को किस किया, तो जैसे मीडिया में हंगामा मच गया। सेक्सी टॉप में संवरी राखी ने आंसू ढलकाते हुए खुद के भारतीय नारी होने की दुहाई दी और मीका को कसूरवार ठहराया। फिर आया रिऐलिटी टीवी शो 'बिग बॉस', जिसमें बिना मेकअप किए नजर आने वाली राखी ने अटेंशन पाने के लिए अपने कोरियोग्राफर अभिषेक अवस्थी के लिए प्यार का खुला इजहार किया और शो से बाहर होने के बाद एक बार फिर वाइल्ड कार्ड के जरिए एंट्री भी पाई। इस शो के जरिए राखी घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन गईं।

फिर तो मीडिया और राखी के बीच की यारी चल निकली। कभी अपार्टमंट के बाहर कूड़े के सवाल पर हल्ला मचाती, तो कभी ब्रेस्ट इम्प्लांट सर्जरी की बात कबूलते हुए इसके पक्ष में दलील देती राखी जब-तब टीवी पर नजर आने लगीं। चेहरे पर ओढ़ी गई मासूमियत और मुंहफट अंदाज ने उन्हें टीआरपी दिलाने वाला सॉलिड मसाला बना दिया। इस दौरान राखी ने कुछ बातों का खास तौर पर ध्यान रखा। मसलन, स्वयंवर से लेकर पिछले तमाम इंटरव्यूज में खुद को भारतीय लड़की, मिडल क्लास फैमिली वाला और भगवान से डरने वाला बताना। अपने अंग्रेजी न जानने को कमजोरी की तरह बताकर मोरल एडवांटेज हासिल करना। अपनी फिगर का जलवा लगातार कायम रखना और सही समय पर बिंदास बोलकर सुर्खियां बटोरना।

मीडिया : कभी सौतन-कभी सहेली
राखी सावंत को एक फिनॉमिना बनाने में मीडिया का ही रोल है, यह कहने वाले तमाम लोग हैं। 24 घंटे की गलाकाट स्पर्धा में टीवी को चाहिए कुछ चेहरे, जिन्हें देखने और जानने में पब्लिक को इंटरेस्ट हो। इसके लिए मीडिया कभी टैलंट हंट करता है, तो कभी रिऐलिटी शो। इसी कतार में आते हैं विजुअल के मारे न्यूज चैनल। राखी ने इन मीडियम्स की जरूरत को भरपूर समझा और यह सुनिश्चित किया कि उनके हर बयान और कदम को कवरेज मिले। जूम टीवी के लिए तुषार कपूर जब राखी के शो में आए, तो उन्होंने शुरुआत में ही पूछ लिया कि राखी जी प्लीज मुझे कंट्रोवर्सी क्रिएट करने का हुनर सिखा दीजिए। इस पर राखी ने थोड़ा लजाते हुए जवाब दिया कि कोई भी काम करने से पहले देख लो कि कैमरे की निगाह कहां है। जाहिर है कि राखी को पब्लिकली यह कबूल करने में कोई दिक्कत नहीं कि वह कंट्रोवर्सी खड़ी करके लाइम लाइट में रहती हैं। मगर यहीं कहानी या कहें कि थिअरी में ट्विस्ट आ जाता है। ट्विस्ट अपने कहे को बदलने का। मसलन, कॉफी विद करण नाम के शो में राखी ने बार-बार कहा कि मैंने अपने परिवार को देखा है और इसीलिए मैं शादी नहीं करना चाहती। मैं अभिषेक से प्यार करती हूं, लेकिन उसके साथ शादी नहीं कर सकती। बच्चे नहीं पैदा कर सकती। और अब वही राखी बाकायदा टीवी पर अपना स्वयंवर रचने में व्यस्त हैं।

एक पल को राखी कहती हैं कि मीडिया में मेरे बारे में सच्चा-झूठा छपता रहता है, फिर अगले ही पल कहती हैं कि मैं बडे़ दिल वाली हूं, छोटी सी जिंदगी है, सबको माफ कर देती हूं। जाहिर है कि राखी भी जानती हैं कि उनकी कामयाबी का आधार भी मीडिया ही है और जिस दिन इसने उनमें रुचि लेनी बंद कर दी, उनका करियर खत्म हो जाएगा। मीडिया जानता है कि राखी का भदेस लहजा, कुछ भी बोल देने वाला मिजाज और एक्सपोजर लोगों में खीझ पैदा करे या प्यार, उनका हाथ चैनल बदलने के लिए रिमोट पर नहीं जाएगा और यह बिजनस का अल्टिमेट फंडा है।

ऐसा नहीं है कि मीडिया हमेशा राखी को हाथों-हाथ ही लेता है। तमाम चैनलों पर राखी को लेकर कार्टून स्ट्रिप आते हैं, तमाम कॉमेडियंस के लिए वह मजाक की विषयवस्तु हैं। लेकिन ये सारी कवायदें अंतत: राखी को एक ऐसी शख्सियत में तब्दील कर देती हैं, जो चाहे-अनचाहे हमारी बातचीत का हिस्सा बन चुकी है, हमारे कमनीय काया और परिष्कृत अंग्रेजी बोलने वाली ऐक्ट्रिसेस से निर्मित होते कामना संसार में जबरन घुस आई है। और यही जबरन घुसने का हठ राखी को हिट बना देता है।

ब्रैंड राखी कितना मजबूत
अगर राखी का नाम बिकने की गारंटी है, तो आखिरकार ऐड वर्ल्ड उनसे परहेज क्यों करता है। दरअसल राखी नाम के ब्रैंड की अपनी लिमिट भी हैं। उनकी इमिज के साथ एक किस्म की अनिश्चितता जुड़ी हुई है। इस वजह से कोई भी प्रॉडक्ट खुद को उनसे जोड़ने के पहले 10 बार सोचेगा। राखी की एक खास छवि है और आज के कंस्यूमर प्रॉडक्ट लॉन्च करने वाले उस छवि को अपने मुफीद नहीं पाते। मगर यही राखी अपने आप में एक ब्रैंड हैं और यह ब्रैंड एक दिन में नहीं बल्कि लगातार बना है। बिग बॉस के दौरान राखी ने ऐसी घरेलू लड़की की तरह खुद को पेश किया, जिसे पूरी दुनिया गलत समझती है। लड़कों के अंडरवियर धोए, उन्हें खाना खिलाया और दूसरों के फटे में टांग भी अड़ाई। शो के फौरन बाद राखी को मशहूर प्रड्यूसर-डाइरेक्टर करण जौहर का अपने शो 'कॉफी विद करण' के लिए बुलावा आ गया। पहली बार इस शो में बातचीत हिंदी में की गई। राखी को पता था कि ये उनके लिए वाकई बड़ा इवेंट है और इसे कैश कराने में उन्होंने कोई कोताही नहीं बरती। करण के सामने लजाई बैठी राखी ने कहा कि आज मैं खुद को प्रीटी, रानी और काजोल के बराबर मान रही हूं। अपनी हिंदी की दुहाई देते हुए करण से कहलवाया कि कोई बात नहीं राखी आखिर हम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करते हैं। और फिर आया हाई पॉइंट जब अपने परिवार की बेरुखी का जिक्र करते हुए राखी शो में ही रो पड़ीं। हॉल्टर नेक वाले लो कट ब्लाउज और शिफॉन की साड़ी में सजी राखी एक ऐसी बेचारी लड़की का प्रतीक बन गईं, जिसे जब हंसी का पात्र समझते हैं मगर कोई नहीं सोचता कि बिना गॉडफादर के अपनी जगह बनाती इस लड़की ने कितनी तकलीफ सही।

अब गौर करें इस तथ्य पर कि राखी को सबसे ज्यादा लंबी अवधि की चर्चा दिलाने वाले राखी का स्वयंवर नाम के प्रोग्राम को एनडीटीवी इमेजिन नाम का टीवी चैनल प्रोड्यूस कर रहा है। करण जौहर इस चैनल के ब्रैंड एबैंसडर और सलाहकार हैं। जाहिर है कि राखी के आंसू बेकार नहीं गए। राखी जानती हैं कि तमाम कलाबाजियों के बावजूद अभी वह औसत भारतीय के लिए एक एम्पावर्ड आइकन नहीं मनोरंजन मुहैया कराने वाली शख्सियत ही हैं। इसीलिए स्वयंवर में वह इसकी भरपाई करने की कोशिशों में लगी हैं। यह ब्रैंड राखी का अगला चरण है। स्वयंवर के कॉन्सेप्ट पर बात करते हुए माता सीता को याद करती राखी, द्रौपदी को याद कर 16 के 16 लड़कों से शादी करने की बात करती राखी और एक प्रतिभागी द्वारा खुद को लक्ष्मी बाई और इंदिरा गांधी की अगली कड़ी बताए जाने पर नम्रता से आंखें नीचे किए राखी। यह ब्रैंड खुद को गर्ल नेक्स्ट डोर साबित करने पर तुला है, जिसे अपने होने का एहसास भी है और उसके मायनों का अंदाज भी। फिर भले ही मनोरंजन की क्वॉलिटी गिरने का रोना रोते लोग उन्हें सेक्स और गॉसिप के ब्यौरों से बरे अंग्रेजी नॉवेल लिखने वाली शोभा डे का भदेस संस्करण मानें।

टीआरपी के खेल की समझ
राखी सावंत को पता है कि जब तक वह बिकाऊ हैं, तभी तक बेरहम टीवी की दुनिया में उनकी पूछ है। तो जाहिर है कि इस पूछ को बनाए रखने के लिए राखी अपनी संभावनाओं को भी तौलती रहती होंगी। इसी समझ के तहत एक ऐसे शो को चुना गया जिसके बारे में टीवी चैनल कहता है कि वास्तविकता इससे ज्यादा वास्तविक कभी नहीं रही। उदयपुर के फतेहगढ़ साहब नाम के महल में राखी का स्वयंवर के लिए सेट लगे हैं, जहां देश भर से आई लाखों एंट्री में से चुने गए 16 प्रतिभागी खुद को राखी के लिए सबसे योग्य वर बताने में लगे हुए हैं। राखी को पता है कि कैमरे का फोकस वही हैं, इसलिए वह शो के दौरान नाटकीय क्षणों का सृजन करती रहती हैं। जब कोई ज्यादा करीब आए तो उसे झिड़क देना, जब कोई मायूस हो जाए, तो उसके साफ दिल की तारीफ कर देना और जब कुछ भी न करने को रह जाए, तो एंकर और दोस्त राम कपूर की तरफ कभी कातरता और कभी लाज के साथ निहारना।

सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या राखी शो के अंत में धूमधाम से अपने चुने हुए वर के साथ शादी करेंगी। अगर ऐसा हुआ तो शादी कब तक चलेगी। तलाक होगा तो कब और उस वक्त मीडिया को इसका कितना हिस्सा बनाया जाएगा। राखी के रुख को देखते हुए बहुत संभव है कि अंत में राखी चीखकर और आंसुओं से लबरेज होकर कहें कि ये सब लोग टीवी पर फेम पाने के लिए मेरे प्रति प्यार का झूठा दिखावा कर रहे हैं। कोई मुझसे प्यार नहीं करता। मैं अभागी प्यार के लिए जिंदगी भर तरसती रहूंगी और इसके साथ ही शो खत्म हो जाए। ऐसा होने पर आगे का सफर जारी रहेगा, टीवी और जनता के साथ, राखी नाम की मिथकीय हकीकत का। आखिर शादीशुदा राखी उतनी टीआरपी नहीं दे सकती, जितना दूल्हे की तलाश करती राखी।

मिडल क्लास का इगो फैक्टर
राखी को खारिज करने वालों की भी कमी नहीं। मगर फिर भी उन्होंने एक-एक करके जूम टीवी और एनडीटीवी इमैजिन जैसे इलीट चैनलों पर अपनी जगह बना ली। करण जौहर को इंटरव्यू दिया और आमिर खान का इंटरव्यू लिया। अगर सिर्फ डांस को पैमाना माना जाए, तो राखी के हुनर की उनके क्रिटीक भी तारीफ करते हैं। फिर भी राखी को खारिज क्यों किया जाता है, जबकि वह हमारे सामने अपनी सारी कमियों के साथ पेश आती हैं। दरअसल राखी का बोलना मिडल क्लास की दमित आकांक्षाओं की आवाज है। साधारण रंगत वाली लड़की मगर लोग कितना हाथों-हाथ लेते हैं। ठीक से बोलना भी नहीं आता, मगर जब बोलती है, तो सब सुनते हैं। मिडल क्लास अपनी मर्यादा और स्टेटस बनाने के फेर में जिन चीजों से बचता है, राखी ऐन उन्हीं चीजों के बलबूते खुद की शख्सियत को संवारने में लगी हैं। इस क्लास को पता है कि राखी कतई भारतीय नारी नहीं हैं, उसकी शर्म, उसका गुस्सा, सब कुछ नाटकीय है, मगर इन क्षणों से पार जाने को भी मिडल क्लास तैयार नहीं। बल्कि टीवी के सामने बैठकर वह अपने आहत इगो को सहलाता है, राखी को कोसता है, उसके फूहड़पने की नकल उतारता है।
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9 Response to 'राखी सावंत बला या अबला'
  1. Dipti
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248174338642#c2135686117779052550'> 21 July 2009 at 04:05

    बहुत ही बढ़िया लेख है। ख़ासकर इसका अंत। सच है कि राखी को सभी कोसते है लेकिन, सभी उसे देखते भी है। राखी के स्वयंवर को गलियानेवाले भी उसे रोज़ाना बिना चूके देखते है।

     

  2. अजय कुमार झा
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248176271374#c2590137636448446902'> 21 July 2009 at 04:37

    तस्वीर का दूसरा पहलु सामने लाने के लिए शुक्रया..बहुत ही संतुलित और तथ्यपरक लिखा आपने..

     

  3. निशांत मिश्र - Nishant Mishra
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248192849878#c2052027879633266386'> 21 July 2009 at 09:14

    क्या विनीत भाई! इतनी बड़ी पोस्ट राखी पर!
    पोस्ट के बीच में लिंक्स डालना भूल गए क्या!?

     

  4. Maheshwar
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248198068235#c7568911297937308249'> 21 July 2009 at 10:41

    अपने ड्राइवर से ही शादी कर लो राखी!

    राखी सावंत का स्वयंवर एक महज मूर्खतापूर्ण मजाक है। 21 जुलाई को दिखाये गये एपिसोड में राखी सावंत ने मनमोहन तिवारी के घर जाकर परिवार के लोगों से मिलने के बाद सबके बारे में काफी भला-बुरा कहा। यहां तक कि राखी सावंत ने मनमोहन तिवारी से कहा कि तुमसे ज्यादा अच्छा तो मेरा ड्राइवर है।
    अगर राखी सावंत का ड्राइवर वाकई मनमोहन तिवारी से ज्यादा अच्छा है तो वह अपने ड्राइवर से ही शादी क्यों नहीं कर लेती? उसे स्वयंवर करने की जरूरत ही क्या थी?
    नेहा, रांची

     

  5. सैयद | Syed
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248208942532#c2418692078641800209'> 21 July 2009 at 13:42

    राखी अबला नहीं आ-बला ...

    उम्मीद तो यही है की "अंत में राखी चीखकर और आंसुओं से लबरेज होकर कहें कि ये सब लोग टीवी पर फेम पाने के लिए मेरे प्रति प्यार का झूठा दिखावा कर रहे हैं" ऐसा ही कुछ होने वाला है...

    ...देखते हैं....

     

  6. अनूप शुक्ल
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248229385698#c7932058991043022930'> 21 July 2009 at 19:23

    राखी सावंत के बारे में काफ़ी सही सा लिखा। शुक्रिया!

     

  7. सुजाता
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248232546544#c1941871300691197877'> 21 July 2009 at 20:15

    इस लड़की की उद्दण्डता से बहुत लोग आतंकित हैं , वे हज़म नही कर पा रहे कि "बहू नही नौकरानी चाहिए" जैसी हमारे समाज की मानसिकता की ऐसी खिल्ली उड़ाई जा रही है!

    सौरभ द्विवेदी का यह लेख पसन्द आया !

     

  8. सौरभ द्विवेदी
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248237448043#c9178739381727099556'> 21 July 2009 at 21:37

    सभी को बहुत-बहुत शुक्रिया

     

  9. vimal verma
    http://test749348.blogspot.com/2009/07/blog-post_21.html?showComment=1248419354712#c6785620450045655365'> 24 July 2009 at 00:09

    सौरभ जी ने इतने बढ़िया ढंग से राखी को थ्युराईज़ किया है कि शब्द नहीं है मेरे पास....शानदार विनीतजी, आपका भी शुक्रिया ।

     

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