तीन महीने से मीडिया में नौकरी पाने के लिए वो जगह-जगह धक्के खा रहा है। इसी बीच उसे पता चला कि भड़ास डॉट कॉम से कुछ मामला बन सकता है। उसने भड़ास के मॉडरेटर यशवंत सिंह को अपना रिज्यूमे भेजा और कुछ करने की बाद कही। वो मेरा ब्लॉग भी रेगुलर पढ़ता है औऱ व्यक्तिगत तौर पर मुझे जानता भी है। इसलिए कल जो कुछ भी उसकी बात यशवंत सिंह से हुई, उस संबंध में मुझसे राय लेने मेरे पास पहुंचा।
सबसे पहले तो वो इस बात से परेशान था कि मीडिया में इस तरह के भी काम होते हैं। उसका कहना एकदम साफ था कि- सर हमें पता है मीडिया में अचानक से या फिर सिर्फ योग्यता से नौकरी नहीं लग जाती, किसी न किसी के बैकअप का होना जरुरी है। लेकिन कोई इस तरह से भी करता है, मुझे जानकर बहुत धक्का लगा। यशवंतजी को लोगों की मदद करने का नाम पर इस तरह पाखंड रचने की क्या जरुरत थी। आपलोग चाहते हैं कि ब्लॉग के जरिए रातोंरात करोड़पति बन जाएं, ये शोषण और धोखा नहीं तो और क्या है। बहुत झल्लाया था वो।
उसके मुताबिक यशवंत सिंह ने कल उसे फोन करके बताया कि- तुम्हारी नौकरी यूपी के किसी अखबार में एक सप्ताह के भीतर लग जाएगी। इसके लिए तुम्हें तीन हजार रुपये देने होंगे। ये तीन हजार रुपये उन्होंने बतौर रजिस्ट्रेशन के लिए मांगा। मतलब कि अगर आप भड़ास.कॉम के जरिए नौकरी चाहते हैं तो आपको रजिस्ट्रेशन फीस देनी होगी। उसने तब यशवंत सिंह से पूछा कि, सर पता तो बताइए कि ये तीन हजार रुपये हमें कहां जमा करने हैं। यशवंत सिंह ने उसे एक अकांउट नंबर दिया और कहा कि इसमें तीन हजार रुपये जमा करा दो। मेरे इस ब्लॉगर दोस्त का कहना है कि सर क्या करें, ऐसे कैसे तीन हजार रुपये किसी को दे दें।
दोस्त से जब मैंने पूछा कि जब तुम अपना रिज्यूमे भेज रहे थे, उस समय कहीं कुछ लिखा था कि तुम्हें तीन हजार रुपये जमा कराने होंगे। उसका सीधा जबाब था- बिल्कुल नहीं सर। ये तो कल जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां तो कईयों के रिज्यूमें आते रहते हैं, तीन हजार तो देने ही होंगे। इस दोस्त ने यहां तक कहा कि- सर, अभी तो स्ट्रगल ही कर रहा हूं, नौकरी मिल जाए उसके बाद उससे आपको दे दूंगा। यशवंत सिंह इस बात के लिए तैयार नहीं थे।
इस पूरे मामले को अगर आप सतही तौर पर देखें तो आपको लगेगा कि कुछ भी गलत नहीं है। अगर कोई आपको नौकरी दिला दे रहा है तब अपनी मेहनत और उसके जो कॉन्टेक्टस हैं उसकी कीमत तो लेगा ही। ये काम तो दिल्ली में कोई आपको मकान दिलाए तो पहले १५ दिन का किराया कमीशन के तौर पर रख लेता है। या फिर जॉव दिलानेवाली एजेंसी भी इस तरह से कुछ करती है। लेकिन, गंभीरता से विचार करें तो कुछ सवाल जरुर खड़े होते हैं-
पहला तो यह है कि क्या यशवंत सिह और और बाकी लोग जो भड़ास डॉट कॉम से जुड़े हैं उन्हें इसे बतौर व्यावसायिक साइट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया है। इसके आमदनी की जानकारी वैधानिक रुप से संदर्भ विभाग को बताए जाने का प्रावधान है।
क्या भड़ास डॉट कॉम कोई जॉव एजेंसी है और अगर हां तो फिर उसने अपनी बेबसाइट पर सारी चीजों की जानकारी स्पष्ट रुप से क्यों नहीं लिखी है. कोई भी परेशान बंदा जो कि मीडिया में नौकरी पाने के लिए छटपटा रहा है और उसे बाद में पता चलता है कि उसे तीन हजार रुपये देने होंगे, ये किसी भी स्तर से उचित नहीं है।
अगर भड़ास डॉट कॉम वाकई में एक व्यावसायिक साइट है तो फिर जबरदस्ती इसे लोगों की मदद और मानवता जैसे भारी-भरकम शब्दों से लादने की जरुरत क्या है।
यह सही है कि भड़ास और अब भड़ास डॉट कॉम मीडिया की खबरों को जिस तरह से पेश करता है इससे नए लोगों को कई जानकारियां मिलती है लेकिन इस जानकारी देने की एवज में जो राशि वो वसूलता है उसे भी अपनी साइट और ब्लॉग पर प्रकाशित करे। भड़ास या फिर किसी भी दूसरे साइट या ब्लॉग को अधिकार नहीं है कि मानवता के नाते मदद करने का डंका पीटने के नाम पर मीडिया में जाने के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को गुमराह करे। इससे लोगों की परेशानी तो बढ़ती ही है, साथ ही जो लोग ब्लॉग और बेबसाइट के जरिए लोगों को मदद करने की कोशिश में लगे हैं, उनकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाते हैं। हम ब्लॉग के जरिए इस तरह के हरकतों का विरोध करते हैं।
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http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216890720000#c1431988059201181427'> 24 July 2008 at 02:12
yaswant ko doshi maat manooo bhai..... jiska TITLE HO BHANDASH ....OH APNA PARICHAY BAHUUT PAHLE DE CHUKA THAA.... PATA NAHI AAPLOG AAB USHE SAMAGH RAHEE HAIN????????????????/
http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216892100000#c1537169628051252131'> 24 July 2008 at 02:35
bhed aur bhedia padhi hai aapne vineet bhai...?ye wahi khaal mein chupe log hain...ab tak to sochta tha ki man mein kuch ho system aur samaj se kshubdtab jaisi koi baat to blog hai naa.....magar ab lagta hai dalali ke liye bhi accha mauka ,manch deta hai blog ..jai ho bhadas bhai..dhikkar hai
http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216893300000#c4955070370579199642'> 24 July 2008 at 02:55
विनीत तुम्हारे लेखों का नियमित पाठक हूं. पर कभी-कभी लगता है कि तुम थोड़ा ज़्यादा भावुक हो जाते हो. मेरे कहने का मतलब कतई ये नहीं है कि इंसान को भावुक नहीं होना चाहिए. महज़ इतना कहना चाह रहा हूं कि भावुकता अतार्किक न लगने लगे. यशवंत सिंह और उनके मित्रों के नए उपक्रम के बारे में मुझे उनके नए साइट http://bhadas4media.com के ज़रिए ही जानकारी मिली. इस पर विचरते हुए कतई ये बोध नहीं होता कि भड़ासियों का यह नया प्रॉजेक्ट मानवता की सेवा को न्यौछावर है. आखिर दुनिया डॉटकॉम से कमा रही है तो यशवंत भड़ासी क्यों न कमाए. गलत क्या है.
तुमने अपने मित्र का उल्लेख करते हुए कहा है कि यशवंत तीन हज़ार रुपए की दलाली मांग रहे हैं उत्तर प्रदेश के किसी अख़बार में नौकरी दिलाने के एवज में, जिसका जिक्र यशवंत ने कहीं नहीं किया है. भइया कहे पर भरोसा करने से पहले यदि स्रोत हो तो उससे सुनी हुई की तस्दीक तो कर ही लेना चाहिए. http://bhadas4media.com पर दायीं ओर उपर तारीख़ के ठीक नीचे एक बक्सा बना हुआ है, उसमें नीचे से सबसे बायीं ओर लिखा है 'जाब'. उस जाब को क्लिक करें, लिखा मिलेगा ''हिंदी पत्रकारों के लिए मौकाः आप hindi.media.job@gmail.com पर CV भेजें, आपको B4M की तरफ से काल किया जाएगा। रजिस्ट्रेशन व कंसल्टेंसी फीस जमा कराने के बाद आपको जाब दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।''
तो बताओ भइया इसमें ग़लत क्या किया यशवंत ने कंसल्टेंसी फीस ( दलाली, कमीशन, कट ... ) मांग कर.
और हां अंत में, कोई मानवता की सेवा का डंका पीटे अपने ब्लॉग या साइट पर तब तो अलग बात है लेकिन कोई अगर पैसा कमाने के लिए ही ब्लॉग या साइट चलाए तो इसमें मेरे ख़याल से दिक़्क़त नहीं होनी चाहिए. हालांकि अपने ब्लॉग या साइट पर मानवता की सेवा करने का डंका पीटने वाला आदमी भी यदि इसे कमाई का ज़रिया बनाता है तो भी मुझे व्यक्तिगत तौर पर परेशानी नहीं लग रही है, या मैं ये कहूं कि इतने भर से उसके व्यक्तित्व का आंकलन नहीं हो जाता है.
http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216907940000#c2964802679184431996'> 24 July 2008 at 06:59
rakesh sir, jis tarah aap dot com se kamai karne ke khilaaf nahi hai, usi tarah mai bhi nahi hoo. hum to bas itna kahna chaah rahe hai ki agar bhadas registration ke paise leta hai to use saaf-saaf likhna chaahiyae ki uski raasi kitni hai...aadhe-adhuri jaankari se to koi bhi gumrah ho jaayaega.
http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216927080000#c4198792097331564865'> 24 July 2008 at 12:18
साफ़ साफ़ नहीं लिखा है...यह एक अलग मुद्दा हो सकता है, किंतु इसको दलाली कहना न्यायसंगत तो नहीं ही है, यह मान भी लीजिये, विनीत जी !
http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216966680000#c5005460624037477320'> 24 July 2008 at 23:18
आपने बिलकुल ठीक लिखा है विनीत जी। यशवंत तो शुरू से ही हरामी आदमी रहा है। वैसे भी भड़ास हरामियों का जमावड़ा ही है। यशवंत दलाल ही नहीं, बलात्कारी, उपद्रवी, अराजक, कुंठित, लोफर, शराबी, कबाबी, घूसखोर, कमीशनखोर...जाने क्या क्या है। आपको कुछ और मसाला चाहिए तो आपके साथी कठपिंगल ने अपने ब्लाग पर फिर एक नई पोस्ट डाली है जिसमें बताया गया है कि यशवंत ने करूणाकर के इलाज के वास्ते जो पैसा इकट्ठा कराया है, उसमें से कुछ पैसे दलाली के करुणाकर के पिता से लिए हैं।
चलिए, मेरे साथ कहिए...
यशवंत मुर्दाबाद...
भड़ास मुर्दाबाद....
विनीत जिंदाबाद...
कठपिंगल जिंदाबाद....
मोहल्ला जिंदाबाद....
तानाबाना जिंदाबाद...
भइये, तुम लोग दुनिया के सबसे शरीफ लोग थे, हो और रहोगे....हम लोग दुनिया के सबसे भ्रष्ट, बेईमान, उचक्के, लोफर टाइप लोग थे, हैं और रहेंगें.....
अब तेरे को जो उखाड़ लेना है उखाड़ ले....
यशवंत
http://test749348.blogspot.com/2008/07/blog-post_1249.html?showComment=1216968180000#c3392813764728170544'> 24 July 2008 at 23:43
जो आदमी ईतना घटिया लिखता है वो क्या किसी का जाब लगवायेगा. अगर ये दुसरे का जाब लगवाता तो खुद भी कहीं ढंग की जगह पर नौकरी करते रहता. यहां पर लिखा है कि तुम क्या उखाड लोगे. उसको बता दिजियेगा कि सेल्फ हेल्प का नाम सुना है? अपनी मदद खुद करना. कोइ किसी का नहीं उखाडता है. खुद से अपनी उखाडनी परती है. ऐसे दलालों से सावधान करने के लिये धज्यवाद.