घर में कोने से कटी हुई कोई चिट्ठी आती तो मैं उसे पकड़ने और पढ़ने से बहुत ड़रता, उसमें किसी के मौत की खबर होती। इसलिए जब भी हम भाई-बहन कोई चिट्ठी( हिन्दी या अंग्रेजी में) लिखते तो मां जरुरी चेक करती कि कहीं कोने से फटे हुए कागज पर तो इनलोगों ने कोई चिट्ठी तो नहीं लिख दी है।
घर तो बहुत पहले छूट गया। अब मौत की खबर आती भी है तो टेलीफोन से या फिर मेल के जरिए। पढ़ने और सुनने में अभी भी बहुत लगता है। आज भी वही हुआ।
चार दिनों से बुखार जिसमें कि कमजोरी अब भी बरकार है के बाद जब बहुत हिम्मत जुटाकर दोस्त के सो जाने पर अभी उसके लैपटॉप पर बैठा तो अचानक बहुत बड़ा झटका लगा। कठपिंगलजी पर क्लिक किया तो देखा ब्लॉग ही गायब है। यानि कठंपिंगलजी अब हमारे बीच नहीं रहे। इतनी रात गए जबकि मैं बिल्कुल बीमार और अकेला हूं( जागते हुए) , पढ़कर बहुत सदमा पहुंचा।
मोहल्ला पर मेरी पोस्ट पढ़कर जब कठपिंगलजी ने मुझे साला कहा था तो मैंने उनके लिए बिलटउआ और अवतारी शब्द का प्रयोग किया था। बलटउआ यानि जिसको कोई बर्बाद न करे, बल्कि अपनी करतूतों से आप ही बर्बाद हो जाए।॥ और अवतारी वो जो किसी खास मकसद के लिए इस धरती पर मनुष्य रुप में अवतार लेते हैं और पूरी हो जाने पर विलीन हो जाते हैं। कठपिंगल ऐसे ही ब्लॉगर थे।
कठंपिंगलजी को किसी ने बर्बाद नहीं किया बल्कि छिटपुट ढंग से इधर-उधर लकड़ी करने के बात खुद ही मनोबल खो बैठे और चल बसे।
अवतारी तो इसलिए लिए कि उन्हें दो पोस्ट लिखनी थी- एक यशवंत पर और दूसरी अविनाश पर। उन दोनों पोस्टों से हम मनुष्यों को जो भी बताना-समझाना चाहते थे, हम समझ लिए उसके बाद वो आंख मूंद लिए। अभी तक इतना चमत्कारी ब्लॉगर मैंने नहीं देखा। गजब का ओज रहन भइया... भगवान ओके आत्मा को शांति दे।
मेरी मां कहती है कि मरने के बाद आदमी देवता हो जाता है। उस हिसाब से धरती से ज्यादा मारामारी उपर है। ऐसे में उनको रहने लायक जगह-ठौर मिल जाए। मां ये भी कहती है कि जो मर जाए उसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए, सो मां की बात तो माननी ही पड़ेगी, कोई शिकायत नहीं। वैसे भी जो इस दुनिया में है ही नहीं, उससे शिकायत कैसी।
लेकिन कठपिंगलजी, आपकी आत्मा को शांति मिले इसके लिए मैं दो-तीन काम कर रहा हूं।
एक तो ये कि मैं सारे ब्लॉग से अपनी सदस्यता समाप्त करता हूं। तकनीक के मामले में कच्चा हूं इसलिए कई बार कोशिश करने के बाद भी मैं अपना नाम हटा नहीं पाया और आपके साथ-साथ औऱ भी लोगों को घेरने का मौका मिल गया। ये जरुरी भी है क्योंकि कल को मेरे जिस गुरु ने बालात्कार करने की कोशिश की है, क्या पता उसमें उसके गलबइंया चेले का भी नाम न जुड़ जाए। कोर्ट-कचहरी से बहुत ड़रता हूं, शरीर से कमजोर आदमी हूं, दो ही दिन में टें बोल जाउँगा। बिना पीएच।डी किए मरना नहीं चाहता। गाइड से वादा कर चुका हूं।
दूसरा कि मेरे लिखने की वजह से इससे पहले कि कनकलता का मामला कोई और मोड़ ले ले, विमर्श गाली-गलौज में बदल जाए, उसकी तकलीफों के उपर बौद्धिकता का मुल्लमा चढ़ जाए, मैं कनकलता के मामले को ब्लॉग के स्तर पर यहीं रोकता हूं। व्यक्तिगत स्तर पर जितना कर सकूंगा, आगे मेरा प्रयास जारी रहेगा।
तीसरा कि आपने मेरी आंखें खोल दी। आप पहले ब्लॉगर मिले जिन्होंने खुले दिल से मेरी आलोचना की और बाद में इस परंपरा का विकास हुआ। बहुत कम लोग होते हैं जो ऐसा कर पाते हैं। लेकिन मरने के बाद भी एक शिकायत करुंगा कि आप कौन से अवतार थे, पता नहीं चल पाया। साहित्य का छात्र रहा हूं, इन सब चीजों पर आस्था न रहते हुए भी जानकारी के लिए छटपटाता रहता हूं। बिना पहचान के आप हमारे बीच रहे, ब्लॉग जगत में एक कलंक थोप गए। आपको तो फिर भी अवतारी जानकर कुछ नहीं बोले, सबके साथ ऐसे कैसे चलेगा। खैर,
आप जहां भी रहें, सुखी रहें। भगवान आपकी आत्मा को शांति दे। कोशिश कीजिए कि जल्दी किसी योनि में पहचान सहित पैदा लें ताकि आलोचना का माहौल बना रहे। सिर्फ ध्यान रखिएगा कि गाली देनेवाली योनि में पैदा न ले लें।
आपके अलावे किसी को कोई जबाब नहीं दे रहे हैं, काहे कि सब लोग अभी यहीं है, नाम सहित मौजूद हैं, इसलिए उनके साथ भावुक होने के बजाय तार्किक होने में भलाई है।
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है
राम नाम सत्य है....
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http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212636240000#c7588963429349984873'> 4 June 2008 at 20:24
बहुत शानदार पीस।
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212637980000#c1903537685782785277'> 4 June 2008 at 20:53
विनीत अब तबीयत कैसी है आप जल्दी से ठीक हो जाऐ। खूब खाईये कमजोरी धीरे धीरे चली जाऐगी।
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212638820000#c8696882497362155190'> 4 June 2008 at 21:07
सुबह सुबह शुभ समाचार देने के लिये बधाई, तेरही का कार्यक्रम कब और कहॉं है? कहते है कि दुश्मन भी मरे तो उसके यहॉं पहुँचना चाहिए, कठपिंगल तो अपना था। :)
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212646920000#c1976836129160492758'> 4 June 2008 at 23:22
बहुत बढिया.. :)
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212649020000#c6269256216796773914'> 4 June 2008 at 23:57
वैसे तो कठपिंगलजी दूसरी बिरादरी के थे लेकिन जब विनीत बाबू की हिंदू रीति से ही उनका अंतिम कार्यक्रम निबटाना चाहते हैं तो इस महान अवतारी, भ्रष्टात्मन श्री श्री श्री कठपिंगलजी महाराज बेठिकानी की आत्मा की शांति के लिए मैं भी अपनी ओर से पांच ब्राह्मण को भोजन-पानी कराना चाहता हूं. कठपिंगलजी महाराज के 5 सबसे क़रीबी मित्र यदि मेरा न्यौता स्वीकार लें तो उनकी आत्मा जहां और जिस अवस्था में भी होगी, शांत हो जाएगी.
ओइम् शांति, शांति, शांति
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212653460000#c1939001617678685631'> 5 June 2008 at 01:11
बढि़या खबर है कि मि. कठपिंगल खुद ही निपट लिये.
गेट वेल सून.....
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212664440000#c4798330527432716240'> 5 June 2008 at 04:14
भाई, उनका तो राम नाम सत्य हो गया, हम दो मिनट का मौन रखे लेते हैं. वैसे नाम उनका पर्याप्त अच्छा था.
ख़ैर, उनकी छोड़िये और तुरंत चंगे हो जाइए, आपको अभी काफी युद्ध करने हैं. हा हा हा!
http://test749348.blogspot.com/2008/06/blog-post_04.html?showComment=1212712620000#c2514980956866274430'> 5 June 2008 at 17:37
Masterpiece!