कल तक आपने पढ़ा कि मीडिया जो फ्रेश इतिहास लिखेगी उसमें इतिहास के नाम पर ऑडियालॉजी नहीं झोंकी जाएगी और मनोरंजन का पूरा ध्यान रखा जाएगा कि कोई पढ़ते-पढ़ते सो न जाए बल्कि सोते हुए बंदे के बगल में बोलकर पढ़ा जाए तो वो भी जाग जाए। इसके साथ ही हमने तीन अध्यायों की भी चर्चा कर दी थी कि क्या-क्या कंटेंट होंगे. अब आगे-
अध्याय- 4
घूस, घोटाले,कबूतरबाजी और नजराने का इतिहास
- सिंधु घाटी संभ्यता से लेकर चारा, ताबूद और डॉ.गुर्दा कारनामे तक
- वैदिक काल से लेकर विधान-सभा और संसद तक
- खानाबदोश जीवनशैली से बंगारु लक्ष्मण और हॉकी हंगामें तक
ठुल्लों, ट्रैफिक जाम,शराबी चालकों का इतिहास
- राजप्रासाद प्रहरी से लेकर इंडिया गेट ट्रैफिक पुलिस तक
- मोहनजोदड़ों की सड़क व्यवस्था से बीराटी सड़कों तक
- सोमरस से लेकर वृद्ध भिक्षु तक के सेवन तक
- अठपहिए रथ से लेकर बीएमडब्ल्यू कार तक
अध्याय-5
चमचे, चटुकारों औऱ मसाज़मैन का इतिहास
-शकुनी,मंथरा युग से राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों तक
- प्राइमरी स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक
- गांव की पंचायत से लेकर संसद तक
निकम्मे, नालायक, निठ्ठलों और दलालों का रोचक इतिहास
- अजगर करै नचाकरी सभ्यता से बड़ा बाबू तक का सफर
- मुरेठा एज से लेकर खाकी फेज तक
- मशालची से लेकर पर्चीबाबू तक का इतिहास
सामाजिक अपंगता की निर्मिति का इतिहास
-भांग, चरस, अफीम से लेकर टीआरपीवाद तक
-जुआ समाज से लेकर मॉल-मल्टीप्लेक्स एरा तक
अध्याय- 6
अफवाह,सनसनी,मातम,उन्माद तकनीक का सुलभ इतिहास
-मुनादी तकनीक से मल्टीकैम तकनीक तक
-मदारी कला से लेकर एक्सपर्ट पैनल तक
-मुर्गेबाजी कौशल से फोनलाइन तक
- जहर मिलाने से लेकर न्यूज घोलने तक
नोट- अध्याय 6 में प्रकाशक की इच्छानुसार बदले जा सकते हैं।
उपसंहार-
जरुरी नहीं है कि देश की हालात को बदलने के लिए कोई क्रांति की जाए। ये भी जरुरी नहीं है कि लोग सड़कों पर आकर धरना-प्रदर्शन करने लगें। जो इतिहास में घटित हो चुका है उसे स्टूडेंट के बीच पढ़ाकर उसे बोर किया जाएष बेहतर होगा कि उन सारे विषयों को शामिल किए जाएं जिससे आज का युवा इतिहास कता मजा ले सके। और इसके लिए जरुरी है कि सिनेमा, क्रिकेट,सनसनी औऱ धमाकों को तरजीह दी जाए। सामाजिक बदलाव का एक ही रास्ता है कि लोग अरबों रुपये खर्च करके मल्टीनेशनल्स ने जो कम्पनियां बनाए हैं, उसमें खूब मेहनत करके काम किया जाए। छोटी-मोटी चीजों के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाए बम खुद उसे खरीदें और ऐसी क्षमता पैदा करें। और सबसे जरुरी है कि मीडिया के इस इतिहास को और मजबूत और लोकप्रिय बनाने के लिए बेहतर की जगह वस्तुस्थिति के हिसाब से सोचना शुरु करें।
संदर्भ- सामग्री
1. दुनियाभर के क्रिकेट मैंदान, पवेलियन,बांडरी वॉल औऱ बाजार
2. देशभर के सिलेब्रिटियों के टायलेट,बेडऱुम और लॉन
3. नेताओं के दफ्तर, आवास और गैरेज
4. कम्पनियों की ऑफिसें,बीयर बार, डिस्को थेक
5. ब्यूटी पार्लर, स्वीमिंग पुल, पांचसितारा होटलें
6. बड़ी गाडियां, काले शीशों के भीतर के दृश्य और फ्लाई ओवर
7. गार्डन पार्क,दालमंडी औऱ दलाल पथ
( ये सारे संदर्भ इतिहास की किताबों से गायब हैं, बिना इनके इतिहास लिखने और होने का दावा करना बेमानी है।
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5 Response to 'मीडिया लिखेगी फ्रेश इतिहासः जुआ समाज से टीआरपी समाज तक'
  1. arun arora
    http://test749348.blogspot.com/2008/05/blog-post_01.html?showComment=1209626160000#c8251170866533986844'> 1 May 2008 at 00:16

    आप बस स्पोंसर्ड कर दे इतिहास हम लिखेगे और यकीन कीजीये ऐसा लिखेगे की भूगोल भी बदल जायेगा :)

     

  2. विनीत कुमार
    http://test749348.blogspot.com/2008/05/blog-post_01.html?showComment=1209626700000#c9054811299906487357'> 1 May 2008 at 00:25

    मीडिया जिसकी खाल में इतनी चिकनाई आ गयी है, अब भी उसे स्पांसर की जरुरत है, कहीं आप मजाक तो नहीं कर रहे.

     

  3. राकेश
    http://test749348.blogspot.com/2008/05/blog-post_01.html?showComment=1209626760000#c9145337310523992969'> 1 May 2008 at 00:26

    शुरू कर दो भइया. फटाफट चालू हो जाओ.

     

  4. जेपी नारायण
    http://test749348.blogspot.com/2008/05/blog-post_01.html?showComment=1209628020000#c6963244103138583312'> 1 May 2008 at 00:47

    वाह-वाह...मजा आ गया। धनखाऊ मीडिया के धतकर्म और क्रिया-कर्म की ताजा विधा सुपठनीय है। वाकई मजा आ गया, धन्यवाद।

     

  5. Udan Tashtari
    http://test749348.blogspot.com/2008/05/blog-post_01.html?showComment=1209645000000#c8302636641177859688'> 1 May 2008 at 05:30

    शुरु हो जाओ-शुभकामनाऐं.

     

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