भौको मत, एम्.फिल हो जाने दो

Posted On 14:00 by विनीत कुमार |

रात मे जब माता जागरण के पोस्टर के ऊपर मै दुनिया को बदल देने वाली पोस्टर लगता तो मिरांडा हौस के आगे बहुत सारे काले कुत्ते भौकने लगते, बहुत दूर तक मुझे दौडाते । कभी छिल जाता, कभी गिर जाता और सारे पोस्टर बिखर जाते। मै रोते हुये कहता, क्यो भौकते हो, विचारधारा छुड़वा दोगे क्या, एम्.फिल मे हो जाने दो। एक बार तो हॉस्टल से आटे की लाई बनाकर ले गया था और कुत्ते के चक्कर मे सब गिर गयी। दुबारा बनाकर पोस्टर लगाने मे चार बज गये थे।
दिन मे हमलोग कोई भी पोस्टर नही लगते। शर्म आती। एक- दो बार लगाया तो कुछ लोग मजे लेने लग गये। कहने लगे, भइया कहते हो पत्रकार बनोगे तो चिपकाकर बनते है पत्रकार क्या। आम तौर पर हमलोग हॉस्टल मे होनेवाले या कभी-कभी कॉलेज मे होने वाले सेमिनार या फ़िर कार्यक्रमों के पोस्टर लगते। दिन मे लगाने का मतलब था की लोगो को साफ पता चल जाता की ये बन्दा किस मास्टर या विचार का पक्ष लेता है। कुछ लोगो से हमेशा खुन्नस रहती, लगाते देख लेते तो जरुर फाड़ देते। वैसे भी डी यू मे पोस्टर लगाने का काम जितनी तेजी से होता है, उतनी ही तेजी से फाड़ने का भी होता है। कई कारण थे की हमलोग रात मे ही पोस्टर लगाते।
और हमपर कुत्तों का भौकना जारी रहता। अपने दोस्तो को बताता तो कहते आप माता जागरण वाली पोस्टर के ऊपर लगाते है न, इसलिये भौकते है। मत लगाया कीजिये उनके उनपर और ठहाके लगते। कुछ कहते, कुत्तों को आपके विचार से परहेज है, रात क्या दिन मे भिलगाये तो कुछ कुत्ते भौकेंगे। फ़िर कुत्ता मेताफर मे बदल जाता।
जब मै सेंट जेविअर्स मे था तो मेरे बहुत सारे दोस्त बच्चो को तुइशन देते, मै भी लेकिन जितने पैसे हमे मिलते उतने से अपना काम चलता नही, कोई भी टाइम से पैसे देते नही । कोई फैमिली रोने-गाने लग जाती की इस महीने ऐसा हो गया, ये हो गया, वो होगा, आप देख ले। हमलोग प्रोफेशनल थे नही, उनकी बातों पर विश्वास कर लेते। सो हमलोगों ने तै किया की कॉलेज फेस्ट के अलावे हमलोग बहुत सारे इवेंट कराते है, स्पोंसर खोजते है और बस जो पैसे बचेंगे, सब बराबर-बराबर बाँट लेंगे। अपनी सर्कल मे बहुत सारे बिजनेसमैन के लड़के थे और २-४ सुंदर दोस्त.बस क्या था अभिव्यक्ति नाम से हमलोगों ने प्रोग्राम कराया। फैशन शो, भाषण, कोरेओग्रफी और भी बहुत कुछ। कई ठरकी लाला ने मेरी दोस्तो के साथ जाने से मोटी रकम दे दी थी। बात करते हमसे और देखते उनकी तरफ़। बाहर आकर लड़किया कहती- कुत्ता साला, एक बार प्रोग्राम स्पोंसर कर दो, बाकी भाड़ मे जाओ। उसी समय हमलोगों ने नियम बनाया था की सारा काम हमलोग ख़ुद करेंगे और उसके पैसे रख लेंगे। पोस्टर लगाने का काम मैंने भी लिया था। .....यहाँ हमलोग शाम को लगते, जब दिन की क्लास्सेस खत्म हो जाती.दिन मे समय ही नही होता की पोस्टर लगते।
लेकिन यह जो कुत्ते भौकते वो ग्वायर हॉल के कुत्तों की तरह नही थे। ये सारे फादर के कुत्ते होते, जिन्हें वो शाम को कैम्पस मे छोड़ देते। इन्हे आप मार भी नही सकते। कुछ किया नही की भौकने लगते और फ़िर फादर चिल्लाते- ये बॉय , मत मारो। । बड़ी परेशानी होती, साथ मे बिस्कुट रखता और देता तो नही खाते। मै कहता- क्यो पेट पर लात मारते हो भाई। बाद मे बहादुर को २५-५० देकर काम कराना पड़ता .वो भी फादर से ज्यादा कुत्ते की प्रशंसा करता। कुत्ते की बफदारी के हजारो किस्से। किसी तरह काम करके रात मे लौटता तो कालोनी के कुत्ते भौकते।
समय और अनुभव के साथ-साथ कुत्तों से निबटने के तरीके जानता गया लेकिन अब कुत्तों मे सिर्फ़ भौकने और काटने बाले कुत्ते शामिल नही है, कई दुसरे किस्म के कुत्तें भी शामिल है। बचपन मे मेरी दीदी जब दर्जी के पास जाती और वापस आकर कहती- लाखानमा बहुत कुत्ता आदमी है , अब नही जायेंगे उसके पास नाप देने तो बात समझ मे नही आती की लाखानमा तो दरजी है, आदमी है वो कुत्ता कैसे हो सकता है..लेकीन आज जब कोई लड़की चैंबर से झल्लाते हुये निकलती है और कर कहती है- बॉस है, कुत्ता है साला, अब कुत्ता कहने से तो सब समझ जाता हू।
इधर हॉस्टल मे अमित सिर से मार खाया कुत्ता बाहर घूम रहा है। दुसरे कमजोर कुत्ते को एक भाई पाइप से फ्रूटी पिलाता है और शाम से एक नया कुत्ता टहल रहा है, लोग बता रहे है , ये हॉस्टल अथॉरिटी के रिश्तेदार है......
edit post
4 Response to 'भौको मत, एम्.फिल हो जाने दो'
  1. PD
    http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_23.html?showComment=1208943540000#c3757411874907117022'> 23 April 2008 at 02:39

    बहुत आनंद उठाया आपका लिखा पढ कर.. मस्त लिखे हो भाई.. बोले तो गर्दा.. :)

     

  2. भुवनेश शर्मा
    http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_23.html?showComment=1208949300000#c12077309255766382'> 23 April 2008 at 04:15

    जारी रखिए कुत्‍ता पुराण.

    मजा आ रहा है.

     

  3. neelima sukhija arora
    http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_23.html?showComment=1208950740000#c723178127995772794'> 23 April 2008 at 04:39

    kutta puran badhai hai

     

  4. सुशील कुमार छौक्कर
    http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_23.html?showComment=1208971560000#c9145125658502337001'> 23 April 2008 at 10:26

    आपका लिखा पढ कर अच्छा लगता है.विचारो में जान होती है शब्दो मे मीठा और नमकीन का स्वाद आता है.

     

Post a Comment