ओबीसी आरक्षण लागू होने पर सरकार ने बताया कि इससे सामाजिक स्तर पर समानता आएगी और आपने मान भी लिया। देखिए सरकार के कानून को सीधे-सीधे मान भी लें तो जाति जैसा मामला हमारे मिजाज और मूड की चीज है, ये हमारे संस्कार में मिले हैं। इसे हम भला एक झटके में कैसे छोड़ दें। जाति कोई चीनी तो है नहीं कि आरक्षण में घुल जाए और पूरे समाज को समरस और मीठा कर जाए। टैम लगता है भाई और जाति जैसे मामले में जितना टैम लगे उतना ही मामला चोखा बनता है।
आरक्षण को लेकर मैं कोई गंभीर बहस में पड़ना नहीं चाहता, जो काम पिछले चौबीस घंटे से अखबार और चैनल कर रहे हैं वो काम मैं भी क्यों करने लग जाउं। मैं तो बस रिजर्वेशन लागू होने की घोषणा के चौबीस घंटे के भीतर हुए तीन घटनाओं का जिक्र करना चाहता हूं। तो लीजिए एक-एक करके-
मेरे विभाग में लेक्चररशिप की लाइन में कितने ओबीसी हैं, उंगलियों पर इनकी गिनती शुरु हो गई है। अभी ये काम स्टूडेंट ही कर रहे हैं। जब सब तरफ से सही आंकड़ा निकल आएगा तो बात हाइकमान तक पहुंचा दी जाएगी। इस आपरेशन के तहत एक-दो लोगों को लेकर लोगों को झटका भी लगा। जिसे अभी तक फारवर्ड समझ कर खिलाया-पिलाया जाता रहा, ओबीसी को लेकर जिनके साथ गोलाबंदी करते रहे आज वो ओबीसी निकला। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसके चेहरे पर जो चमक आयी उसे वो रोक नहीं पाया, उसे वो नैचुरल ही रहने दिया और इस चक्कर में अच्छा-खासा फ्रैंड सर्किल गंवा बैठा। अब ये कहा जाने लगा है कि- अच्छा, ओबीसी है तभी तो सारी बातें चुपचाप सुनता रहा, कभी किसी बात पर चूं से चां तक नहीं किया। बीच-बीच में हमको शक होता रहा कि इसका कोई भी लक्षण फारवर्ड वाला नहीं है,कोई अकड़ नहीं है, गिरगिराता फिरता है। लेकिन हम देह की कमजोरी समझकर नजरअंदाज करते रहे। आज वही हुआ जिसको लेकर मन में खटका लगा रहा। तब वो सारी बातें इधर से उधर करता होगा जो कि हमलोग ओबीसी को लेकर बोलते रहे।
शाम को एक भाई ने बड़ी ही बेचैनी से, बधाई देते हुए फोन किया, यार सुप्रीम कोर्ट भी न, अब रिजर्वेशन दिया ही है तो उसमें क्रीमीलेयर वाला लोचा क्यों लगा दिया। क्यों कह दिया कि ढ़ाई लाख से ज्यादा जिनकी आमदनी होगी, उनके बाल-बच्चों को रिजर्वेशन नहीं मिलेगी। अच्छा, ये बताओ तुम्हारे पापा की इन्कम कितनी होगी। देखने से तो नहीं लगता कि तुमलोग ढाई लाख में गुजारा कर लेते होगे। साले, सेठ जो ठहरे। मैंने हंसते हुए बताया-सवा दो लाख। उसने कहा-तू झूठ बोल रहा है, सच-सच बता न। मैंने कहा कि ढाई लाख से बहुत ज्यादा है लेकिन फिर भी मुझे इसका फायदा मिलेगा। क्योंकि बिजनेस में कुछ भी फिक्स तो है नहीं किसी-किसी साल बहुत घाटा भी लग जाता है, फैशन बदल जाते हैं और बहुत सारा माल पैंडिंग पड़ जाता है, तब तो हम सर्टिफिकेट बनवा सकते हैं न लो इन्कम की और वो भी पक्की। उसका मन बैठ गया और कहने लगा-तुम्ही लोग लो बेटे मजा, उधर पैसे का भी और इधर रिजर्वेशन का भी। लेकिन कहो कुछ, हो तुम बहुत ही कमीने, कोई भी बात साफ-साफ नहीं बताते, सबकुछ घुमा-फिराकर जैसे सबसे ज्यादा खतरा तुमको हम्हीं से है।
....और तीसरी घटना जब मैं पड़ोस के हॉस्टल में मेल चेक करने गया तो वहां हमारे एक परिचित मिल गए और देखते हुए हुलसते कहा- अरे भाई साहब, हम तो आप ही जैसे लोगों को खोज रहे थे, चलिए हमारे साथ कंप्यूटर रुम। वहां मैं गया तो देखा कि लोक सभा की साइट खुली हुई है और वो हमसे जानना चाह रहे थे कि लोकसभा औऱ राज्य सभा के कुल कितने एमपी ओबीसी से हैं। उनका कहना था कि एक बार पता तो चल जाए उसके बाद देखिए कैंपस में कैसे लोगों को फाड़ देगें। अभी इ लोग आदमी पहचाना ही नहीं है।
http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_12.html?showComment=1207903620000#c6330702359335362949'> 11 April 2008 at 01:47
विनीत जी,
बुद्धू बक्से से बेहतर इनसाइट्स तो अपने दिया. इस मुद्दे को लेकर कैम्पस में क्या हलचल रही आगे भी लिखिएगा.
http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_12.html?showComment=1207919100000#c3010204733763265649'> 11 April 2008 at 06:05
आपको पढ़ना अच्छा लग रहा है ,यही हकीकत है , सुंदर अभिव्यक्ति, बधाईयाँ !
http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_12.html?showComment=1207923960000#c7667373737490776812'> 11 April 2008 at 07:26
HkkbZ fouhr!
vks-ch-lh- dks ysdj rqEgkjh izfrfdz;k i<+h! csckd ys[ku eas lp dks idM+us dh tks rkdr gksrh gS og rqeeas gS!
http://test749348.blogspot.com/2008/04/blog-post_12.html?showComment=1207926600000#c5683072969741464353'> 11 April 2008 at 08:10
hmm
फर्स्ट हैंड इंफर्मेशन मिल रही है ....बताए जाओ भई ...सुन रहे है लगन से ...