ए गणपत..चल दारु ला

Posted On 21:15 by विनीत कुमार |

बस कुछ ही घंटों बाद नया साल आने वाला है। दिनभर चैनलों पर भटका हूं। सब सिने-सितारों के २००८ के सितारे देखकर अब खाने पर आया हूं। यहां भी मस्ती का आलम है। डिनर टेबल पर खाने की अनगिनत चीजें और बाहर लॉन में डीजे--- नगाड़ा, नगाड़ा बजा। ऐसे मौके पर जबकि पूरा देश एक ग्लोबल मोमेंट को सिलेब्रेट करने में जुटा है, देश के इंटल ऐसे मौके पर नंदीग्राम पर, तरियानी छपरा की बदहाली पर, सेज पर और २५०० के एक पैग को देश के गरीबों से जोड़कर कुछ लिखना-बिखना नहीं। ऐसे एक्सपर्ट को तो वैसे भी चैनलों ने छुट्टी दे ही दी है। आज खालिस मौज- मस्ती की बातें होंगी और कहां कितनी गिलासें फूटी, इसपर बात होगी। इंटल आज प्लीज अपनी आदतों से बाज आ जाओ।
मौज करो, मस्ती करो और हां हर बात पर बोलो- भाड में जाए।
विश यू
जो.....( सबके आगे लगाकर पढ़ें )
रिपोर्टरों को बाइट मिलें
पत्रकारों को दारु
हमारे मास्टर साहब को लिफाफा
और चमचों को मौका।
कम्पनी को मिले बाजार और
हीरोइनों को ब्रेक
फ्रस्टू को मिले राहत और
टूटे दिल के मजनू को फेबीकॉल की शीशी
सबको वो सब मिलें
जो वो नहीं चाहते
...बुरा मान गए, सॉरी
जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती
उससे भी कुछ अच्छा मिले।
राइटर को प्रकाशक और
ब्लॉगर को हिम्मत और ताकत
चंपू को मिले डील
और बॉस को मिले मौका हसीन।
सबको मिले, कुछ-कुछ
बाकी सबकुछ नहीं,॥
अगली बार भी नया साल
तो आएगा न.......
edit post
6 Response to 'ए गणपत..चल दारु ला'
  1. इरफ़ान
    http://test749348.blogspot.com/2007/12/blog-post.html?showComment=1199120520000#c9198647939416790845'> 31 December 2007 at 09:02

    नए साल में आप और भी अधिक ऊर्जा और कल्पनाशीलता के साथ ब्लॉगलेखन में जुटें, शुभकामनाएँ.

    www.tooteehueebikhreehuee.blogspot.com
    ramrotiaaloo@gmail.com

     

  2. अजित वडनेरकर
    http://test749348.blogspot.com/2007/12/blog-post.html?showComment=1199121960000#c4393226007138402260'> 31 December 2007 at 09:26

    गणपत दारू लाए न लाए, अपन को आपकी कलम भा गई ।
    मंगलमय हो नववर्ष ।
    शब्दों के सफर के हमराही बनें

     

  3. Sanjeet Tripathi
    http://test749348.blogspot.com/2007/12/blog-post.html?showComment=1199126040000#c839011816841163038'> 31 December 2007 at 10:34

    अरे ये गणपत दारू वारू कुछ नई लाया, देख लो रात के ठीक बारह बजे हैं शहर में पटाखों को शोर है और अपन आपकी ये पोस्ट पढ़के टिपिया रहे हैं।
    नए साल की शुभकामनाएं आपको भी।

     

  4. विनीत उत्पल
    http://test749348.blogspot.com/2007/12/blog-post.html?showComment=1199133000000#c5397461951268407451'> 31 December 2007 at 12:30

    नया वर्ष आपके लिए शुभ और मंगलमय हो।

     

  5. Mired Mirage
    http://test749348.blogspot.com/2007/12/blog-post.html?showComment=1199222160000#c5733983666588528150'> 1 January 2008 at 13:16

    आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ ।
    घुघूती बासूती

     

  6. डा० अमर कुमार
    http://test749348.blogspot.com/2007/12/blog-post.html?showComment=1199305140000#c7233608024907740355'> 2 January 2008 at 12:19

    बोले तो बिंदास लिखेला है, बाप !
    मगज़ दुख रैला है तो गाहे-बगाहे इधर को आना माँगता है, मस्त पोयट्री अउर कड़क माल वास्ते ।
    वाकई शिल्पकारी है ,इस गाहे-बगाहे की लेखनी में !

     

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