आज ही टाटानगर से दिल्ली गिरा हूं, मरद का बच्चा होकर, जैसा कि एक भाई साहब ने बस में बहस के दौरान बताया कि आप खालिस मरद का बच्चा हो। नहीं तो दिल्ली में लोग बत्तख, बोक्का और एक लेडिज दोस्त चंपक तक कहकर बुलाती है। लिखने को बहुत कुछ है लेकिन काम का प्रेशर बहुत ज्यादा आ गया है, दो-चार दिन का समय दीजिए। गाहे-बगाहे फिर से रेगुलर हो जाएगा। आप इसे विज्ञापन न समझें...एक कमिटमेंट के रुप में लें और मन हो तो आप भी कहें खालिस ब्लॉगर है।...सच्ची मैंदान छोड़कर भागेगा नहीं ।

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http://test749348.blogspot.com/2007/11/blog-post_20.html?showComment=1195582440000#c8259705745960592123'> 20 November 2007 at 10:14
कुछु भी भी होकर लौटे लेकिन लौट आए वही बड़ी बात है! ऊ का है ना कि सुबह का भूला शाम को लौट आए उसे भूला नई न कहते हैं!!
फ़िर शुरु हो जाओ गुरु एक से एक पोस्ट मारे जाओ!!
http://test749348.blogspot.com/2007/11/blog-post_20.html?showComment=1195712820000#c740042202512061759'> 21 November 2007 at 22:27
ब्लॉगल-वर्ल्ड में वापस आए. स्वागत है. संजीत भाई ठीक कह रहे हैं. लिखे जाओ.
http://test749348.blogspot.com/2007/11/blog-post_20.html?showComment=1195807200000#c3189117689462855143'> 23 November 2007 at 00:40
बच्चा अगर औरत का हो तो का फरक पडेगा । हम तो चाहते है कि आप कलम सारी ब्लाग के बच्चे नही बाप हो जाओ